हम क्या कर रहे है पता नहीं, हम कहा है पता नहीं,इस ब्रह्मांड में केवल पृथ्वी ही ऐसी जगह जहां पर जीना संभव है उदहारण के लिए एक मिठाई का डब्बा है जो पूरा मिठाई से भरा हुवा है उसमे पहले केवल दो चीटियां थी जो उस मिठाई के डब्बे में रखी मिठाई को खा रही थी धीरे धीरे चीटियां बढ़ती जाती है और मिठाई को खाती जाती है धीरे धीरे चीटिया मिठाई के डब्बे में रही सभी मिठाई को खा जाती है अब मिठाई ख़त्म हो चुकी है अब चीटिया आपस में एक दूसरे को खाने लगती है ठीक इसी प्रकार हम भी पृथ्वी पर जो संसाधन पानी,हवा,पेड़,भोजन सब का उपभोग करते जा रहे है और चीटियों की तरह अपनी संख्या बढ़ाते जा  रहे है वो समय दूर नहीं जब इस ब्रह्मांड में हमारा पतन हो जाएगा और हम एक दूसरे के दुश्मन हो जाएंगे। युद्ध होता है तो उस देश की सरकार या सामने वाले देश की सरकार कभी भी देश की जनता से नहीं पूछती की क्या हम युद्ध करे युद्ध में हमेशा आम जनता और सिपाही ही मारे जाते है कभी कोई सरकार नेता या कोई अभिनेता मारा नहीं जाता है हम सिर्फ अपने पतन की और जा रहे है इस बात को हम जितनी जल्द समझ कर अलग - अलग देश ना होकर एक पृथ्वी के निवासी होकर इस समस्या का समाधान ना करले हम बिना ड्राइवर की गाड़ी में बैठे है जिसका कभी भी कुछ भी हो सकता है !

Comments

Popular posts from this blog

सिरवेल महादेव (SIRVEL MAHADEV)

सिरवेल महादेव- MAHADEV SIRVEL,SHIV MANDIR,KHARGON,MAHARASHRTRA,MADHYA PRADESH,BY CAR,

ULTE HANUMAN (उलटे हनुमान)